शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

निर्धनता की घोर घटा



















निर्धनता की घोर घटा जब घिर-घिर आयें
उमड़-घुमड़ बादल आयें टिप-टाप बरस जायें
असफल प्रयास हों जब सारे ना कोई युक्ति चले
ऐसे में केवल धर्म मित्र उसकी ही शरण चले आयें

होके समर्पित बिन विचलित हो करें कर्म
ना सोंचे परिणाम अधिक क्या होगा मर्म
सुत,भगिनी,दारा,संबंधी भी छिटकनें लगें जब
समझो तुम्हे परखने को आया हुआ है धर्म

भरी सभा में द्रौपदी सा जब भीषण संकट आये
छोड़ आस जग की तब केवल ईश्वर में रम जायें
ऐसे में डूबती हुई नैय्या भी ऊपर आ जाती
धर्म की हो पतवार तो खेने खुद ईश्वर आयें

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
  

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