यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

था जो दुश्मन मेरा,मेरा प्यार हो गया



था जो दुश्मन मेरा,मेरा प्यार हो गया

मोजज़ा हो गया , इक़रार हो गया

जो कभी देखना चाहता था नहीं
वो ही मिलने को अब बेकरार हो गया

प्यार के नाम पर जो बिदक जाता था
कल पड़ोसन के संग वो फरार हो गया

वो जो पहली नज़र का चला तीर तो
सीधे दिल में लगा आर-पार हो गया

प्यार में एक पल सब्र होता नहीं
इक घड़ी एक युग इंतजार हो गया

कैसी-कैसी तसल्ली ये है प्यार में
सुन के आवाज़ तेरी क़रार हो गया


जो पड़े प्यार में वो ही जाने इसे
प्यार में तो ‘पवन’ इश्तिहार हो गया

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
  

  

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