यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 17 सितंबर 2017

भाग्य ना साथ दे कर्म फलता नहीं











भाग्य ना साथ दे कर्म फलता नहीं
होते - होते भी वो काम होता नहीं

कितनें कर लें जतन हो सिफारिश भले
आख़िरी वक़्त में काम होता नहीं

वादा करके भी वादे मुकर जाते हैं
वादे वालों को खुद याद होता नहीं

हो बुरा वक़्त तो ना सिफारिश चले
हो किसी की धमक काम होता नहीं

आप को लगता है अब तो हो जाएगा
तभी आती ख़बर मुझसे होता नहीं

ऐसे में तब लगे अपना कोई नहीं
सच बुरे दौर में कोई होता नही


ऐसे में फैसले वक़्त पर छोड़ दें
वक़्त से पहले तो कुछ भी होता नहीं

देखना जिंदगी, जिंदगी होगी फिर
फिर न उलझन फिकर कुछ भी होता नहीं

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com   


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