यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

रुबाईयाँ

   
 1

मेरी चाहत न थी
वो, वो न थी
जैसी चाहत थी मुझे
उनमें वो चाहत न थी .

              2

मेरी कोई अफलातून ख्वाहिश न थी
जैसा सबने सोंचा था मेरी सोंच वैसी न थी
हाँ, इतना चाहता था कोई फुलमुनियाँ सी मिले
ये जो आई हैं अनारकली, ये मेरी ख्वाहिश न थीं

 पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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