1
मेरी चाहत न थी
वो, वो न थी
जैसी चाहत थी मुझे
उनमें वो चाहत न थी
.
2
मेरी कोई अफलातून
ख्वाहिश न थी
जैसा सबने सोंचा था
मेरी सोंच वैसी न थी
हाँ, इतना चाहता था
कोई फुलमुनियाँ सी मिले
ये जो आई हैं अनारकली, ये मेरी ख्वाहिश न थीं
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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