शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

रुबाईयाँ

   
 1

मेरी चाहत न थी
वो, वो न थी
जैसी चाहत थी मुझे
उनमें वो चाहत न थी .

              2

मेरी कोई अफलातून ख्वाहिश न थी
जैसा सबने सोंचा था मेरी सोंच वैसी न थी
हाँ, इतना चाहता था कोई फुलमुनियाँ सी मिले
ये जो आई हैं अनारकली, ये मेरी ख्वाहिश न थीं

 पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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