यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 26 जून 2017

न तुझे मेरे साथ चलना था

















न तुझे मेरे साथ चलना था 
न मुझे तेरे साथ रहना था
मगर हालात ऐसे थे कि
हमको साथ रहना था

न तुझको प्यार करना था
न मुझको प्यार होना था
मगर हालात ऐसे थे
कि हमको प्यार करना था

न तुझको माँ ही बनना था
न मुझको बाप बनना था
मगर बच्चों की किस्मत में
हमें माँ बाप बनना था

न तुमको सास बनना था
न मुझको ससुर बनना था
मगर बहुओं की किस्मत में
हमें सास- ससुर बनना था

न तुझको ये न मुझको वो
न करना था न बनना था
मगर किस्मत में लिक्खा जो
वो करना था,वो बनना था


जो होना है वो होता है 

कोई कुछ भी नहीं करता
बस भ्रम होता है करने का
जो करता है खुदा करता
पवन तिवारी
सम्पर्क - ७७१८०८०९७८ 
poetpawan50@gmail.com



















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