यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

कौन लौटाएगा जवानियाँ मेरी
































कहा जब से कि नहीं हैं मेरी 
रूठी- रूठी हैं तन्हाइयां मेरी 

वो मुझे  भूलें ये  मुमकिन है नहीं 
बीती जिन बाँहों में जवानियाँ मेरी

इशारे से उन्हें अब कौन चुप करायेगा
होठों  पर होंगी न ये उंगलियाँ  मेरी

मुझको क्या देगी जो लुटेरन हो
पी गयी सारी  रानायियाँ मेरी

अब भी बाकी है बहुत कुछ मेरा
मुझको लौटा दें कहानियाँ मेरी

धूप में अब जब वो निकलेंगी
याद आयेंगी  परछाइयाँ मेरी

जब भी जायेंगी अपने कमरे में
बहुत  खलेंगी  चुप्पियाँ  मेरी

रात जायेंगी जब वो बिस्तर पे
याद   आयेंगी  खूबियाँ  मेरी


सम्पर्क - 7718080978 

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