कहा जब से कि नहीं हैं मेरी 
रूठी- रूठी हैं तन्हाइयां मेरी
रूठी- रूठी हैं तन्हाइयां मेरी
वो मुझे  भूलें ये  मुमकिन है नहीं 
बीती जिन बाँहों में जवानियाँ मेरी
बीती जिन बाँहों में जवानियाँ मेरी
इशारे से उन्हें अब कौन चुप करायेगा
होठों  पर होंगी न ये उंगलियाँ  मेरी 
मुझको क्या देगी जो लुटेरन हो 
पी गयी सारी  रानायियाँ मेरी 
अब भी बाकी है बहुत कुछ मेरा 
मुझको लौटा दें कहानियाँ मेरी 
धूप में अब जब वो निकलेंगी 
याद आयेंगी  परछाइयाँ मेरी
जब भी जायेंगी अपने कमरे में 
बहुत  खलेंगी  चुप्पियाँ  मेरी 
रात जायेंगी जब वो बिस्तर पे
याद   आयेंगी  खूबियाँ  मेरी 
सम्पर्क - 7718080978 
 

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