यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 30 मार्च 2017

प्यार की हवा चली,कुछ जिन्दगी में यूं


























तेरी निगाहों ने ऐसा काम कर दिया 
दिल हुआ बेकाबू,तेरे नाम कर दिया 

तुझसे मिली दिल ने,ऐलान कर दिया
तुझसे है प्यार जाना,सरेआम कर दिया

पहली मुलाक़ात में,चला यूँ सिलसिला
हम मिले थे सुबह,और शाम कर दिया

प्यार की हवा चली,कुछ जिन्दगी में यूं
इस प्यार ने तो जग में,बदनाम कर दिया

जिन्दगी बुझी–बुझी, थी उलझनें बहुत
प्यार ने आसान,सारा काम कर दिया

पहले तो जिन्दगी बस,आगाज़ थी सनम
तुम मिले तो इसको,अंजाम कर दिया 
  
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