यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 3 नवंबर 2016

वक्त है बादशाह बाकी मोहरे सभी....



वक्त है बादशाह बाकी मोहरे सभी.
उसकी चाहत के अनुसार सब चल रहे.

वक्त तो वक्त है उससे क्या उलझना.
जितना भी हो सके कर्म करते रहें.

कल तलक जो खुले आम थे गरजते.
आज पिंजरे में वो ही सफ़र कर रहे.

जिसको वो देखना चाहते थे नहीं.
संग उसके ही वो अब सफ़र कर रहे.

हाथ जिससे मिलाना गँवारा न था.
आज उससे ही वो हैं गले मिल रहे.

वक्त का फेर है वक्त ही है खुदा.

नासमझ हैं वो जो खुद ख़ुदा बन रहे.  

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