यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 2 नवंबर 2016

सच्चा प्रेम समर्पण है








सच्चा प्रेम समर्पण है 
प्रेम में सब अर्पण है 
प्रेम त्याग का दर्पण है
लोक-लाज सब तर्पण है


महलों की रानी दीवानी है

दर-दर कृष्ण कहानी है
कृष्ण से उसकी ऐसी लगन है
जग भूली वो श्याम मगन है


हँसते-हँसते गरल पिया  है

तब जाकर कहीं पिया मिला है
ऐसा प्यार कहाँ मिलता है
तब जाकर कहीं रब मिलता है

poetpawan50@gmail.com

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