बुधवार, 2 नवंबर 2016

सच्चा प्रेम समर्पण है








सच्चा प्रेम समर्पण है 
प्रेम में सब अर्पण है 
प्रेम त्याग का दर्पण है
लोक-लाज सब तर्पण है


महलों की रानी दीवानी है

दर-दर कृष्ण कहानी है
कृष्ण से उसकी ऐसी लगन है
जग भूली वो श्याम मगन है


हँसते-हँसते गरल पिया  है

तब जाकर कहीं पिया मिला है
ऐसा प्यार कहाँ मिलता है
तब जाकर कहीं रब मिलता है

poetpawan50@gmail.com

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