बुधवार, 2 नवंबर 2016

पर तजर्बे में हम बाप हैं तो हैं.

वो,वो हैं तो हैं.
हम भी,हम हम हैं.
वो भुजंग हैं न बदलें.
हम भी मलय हैं तो हैं.


वो जो जवान हैं तो हैं.
हम भी बुज़ुर्ग हैं तो हैं.
माना उनमें ताक़त है जोश है.
पर तजर्बे में हम बाप हैं तो हैं.


वो खूबसूरत हैं तो हैं.
हम बदसूरत हैं तो हैं.
वो गुलाब हैं,महकें,इतराएँ.
वो महफूज हैं,बदौलत हमारी,हाँ हम कांटे हैं तो हैं.


 वो बाल खींचे,पंजे मारें,गाल काटें,जिद करें तो करें.
उनकी इन गुस्ताखियों में भी आनन्द है तो है.
वो दूध भी पियें, छाती भी काटें और रोये भी.
उस पर भी हमें फक्र है क्योंकि हम माँ हैं तो हैं.


वो हमें माने न मानें मर्जी उनकी.
मगर हम उन्हें अपना मानते हैं तो हैं.
लोग क्या कहते हैं,समझते हैं लोग जानें.
हमें उनसे मोहब्बत है तो है.


वो खुद को बड़ा बताते हैं तो हैं.
और हम पहले से बड़े हैं तो हैं.
वो कुछ भी कहें हमारे बारे में.
जमाना जानता है हम हैं तो हैं.  

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