यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

बात दूसरी है.....




बात करना, बात दूसरी है.
बात पे कायम रहना,बात दूसरी है.

किसी हंसते को हँसाना,बात दूसरी है.
किसी रोते को हँसाना,बात दूसरी है.

बच्चा होके,बच्चा रहना,बात दूसरी है.
बड़ा होके,बच्चा रहना बात दूसरी है .

किसी से दिल्लगी करना,बात दूसरी है.
किसी के रूह में उतरना,बात दूसरी है.

नेकी और दान की बातें करना, बात दूसरी है.
किसी भूखे को भोजन कराना, बात दूसरी है.

किसी से प्यार करके,शादी करना बात दूसरी है.
किसी से शादी करके,प्यार करना बात दूसरी है.

कुछ कदम साथ चलना,हाथ पकड़ना,बात दूसरी है.
जिन्दगी भर हाथ पकड़ के साथ निभाना,बात दूसरी है.

वतन पे मरने,कुरबां होने की कसमें खाना, बात दूसरी है,
वतन पे कुरबां होना, मर जाना, बात दूसरी है
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