यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 23 नवंबर 2015

हमारी सहिष्णुता का बेजा फायदा उठाया जा रहा है इतनी सहिष्णुता भी ठीक नही

आज आमिर खान के बयान ने मुझे  आवेश और ग्लानि से भर दिया , मुझे अपनी सहनशीलता या सहिष्णुता जो भी कहें ,पर शर्म आने लगी ,  कि हम इतने सहनशील क्यों हैं कि कोई  हमें ,इस देश को ,कितनी भी गाली दे ले  और हम अभिव्यक्ति की आजादी और सहिष्णुता के नाम पर चुप रहें  सिर्फ इसलिए कि कहीं वो हमें  फिर  से असहिष्णु न कह दे . आखिर वो तो  पूरी व्यवस्था हो ही असहिष्णु कह रहा है या पूरे सवा सौ करोड़ के देश को .वास्तव में हम उसकी असहिष्णुता के शिकार हो गये हैं . हम उसके अधिकारों की रक्षा की खातिर  अपने पूरे देश का अपमान क्यों करवा रहे हैं . ये बेहद गंभीर विषय है इस पर सरकार को नीतिगत तरीके से आगे कदम बढ़ाना होगा . अन्यथा जब देश की सहिष्णुता बर्दाश्त से बाहर हो जायेगी और सहिष्णु लोग सचमुच असहिष्णु होने को मजबूर हो जायेंगे तब आमिर खान और इन जैसे तमाम ढोंगी लोगों व इनके गुरुओं का क्या होगा .... शायद ही किसी को कल्पना हो .   असहिष्णुता वास्तव  में  क्या है  और कहाँ है यदि आमिर या इस सोंच के लोगों को पता करना है  '' डर का माहौल'' महसूस करना है  तो उन्हें ईराक , सीरिया ,अफगानिस्तान , सूडान, में जाकर देखना चाहिए . पड़ोस में भी जा सकते हैं पकिस्तान ,  हाँ मिश्र भी फिलहाल ट्राई कर सकते हैं . फिर सच पता चलेगा और डर क्या होता है मालूम होगा .
हमें सहिष्णुता को जानना है तो आमिर जैसे लोगों को भारत के इतिहास को देखना होगा . हम  सहिष्णु हैं तभी भारत में दुनिया की सबसे अधिक मस्जिदें भारत में हैं , हम सहिष्णु हैं तभी भारत में पीके जैसी फिल्म रिलीज हुई . हम सहिष्णु हैं तभी आज भारत में  मुस्लिमों की आबादी दुनिया में तीसरे नंबर पर है .हम सहिष्णु हैं इसीलिये भारत दुनिया का पहला देश है जो हज पर 50000/ प्रति यात्री सब्सिडी देता है और वहीं हमारे ही देश में हमारे ही ईष्ट का मंदिर तक नहीं बनने दिया जाता . हम सहिष्णु थे इसीलिये  भारत में 3 करोड़ से बढकर 19 करोड़ मुस्लिम हो गये .  पकिस्तान में कितनी हिन्दू आबादी बढ़ी जरा कथित सेकुलर पता करें . पाकिस्तान में 1947 में कुल आबादी का 25 प्रतिशत हिंदू थे। अभी इनकी जनसंख्या कुल आबादी का मात्र 1.6 प्रतिशत रह गई है.इसी तरह बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़े हैं। बांग्लादेश ने "वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न (एमेंडमेंट) बिल 2011"को लागू किया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे सरकारी संरक्षण भी मिल रहा है। इसका विरोध करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर भी जुल्म ढाए जाते हैं.
भारत में मस्जिद होना आम बात है पर पाक में मंदिर दिख जाना ख़ास बात है . जब तक भारत हिन्दू बहुल देश बना रहेगा तभी तक सहिष्णुता नामक शब्द भी जीवित रहेगा  ये आमिर व उन जैसों को याद रखना होगा .वरना जिस दिन आमिर बिरादरी हावी हुई  फिर ईराक बनने से कोई नहीं रोक पायेगा और देश छोड़ने की बात तो दूर  ऐसा सोंचने से पहले इनका काम तमाम  हो जायेगा . हमारी सहिष्णुता का ही फल है कि भारत के हिन्दू मुस्लिम आधार पर बंटवारे के बाद भी आमिर जैसे लोग हिन्दुओं के सुपरस्टार हैं , 19 करोड़ मुसलमान आज हिन्दुओं के हिस्से पर कब्जा जमाए बैठे हैं  क्योंकि उन्होंने अपना हिस्सा पाक के रूप में ले लिया .  पाक में कोई हिन्दू  सेना में कर्नल या उससे ऊपर का अधिकारी नहीं बन सकता , राष्ट्रपति नहीं बन सकता  बाकायदा कानून है  हिन्दू विवाह को मान्यता भी नहीं है . आमिर सहिष्णु हिन्दुओं को किसी के इशारे पर भड़काने का काम कर रहे हैं . आमिर पूरी तरह से झूठ बोल रहे हैं  कि किरण राव ने देश छोड़ने की बात कहीं क्योंकि देश में डर का माहौल है. दूसरी बात यदि कही तो मीडिया में कहने की क्या जरुरत है  घर की बात थी ... पर इसे हवा देनी थी  ..... तीसरी बात उन्होंने खुद कही कि उनकी पत्नी अखबार व समाचार चैनल इसीलिये देखने से डरती हैं .इसका अर्थ ये हुआ कि उनके अन्दर असहिष्णुता का डर और माहौल इन चैनलों और अख़बारों ने बनाया वरना  उन्हें इससे पहले बिलकुल भय नहीं था .  ये सारा माहौल सरकार विरोधी  कथित लेखकों ,कलाकारों ,विपक्षी पार्टियों ने देशद्रोही मीडिया के साथ बनाया . वरना १९४७ में 25 लाख लोगों की हत्या  से अब तक कितनी ही लाशें गिरी किसी ने उफ़ तक नहीं किया .
उपरोक्त बातें लिखने का मेरा बस इतना मतलब था कि  इस कृतिम लोगों की  कृतिम असहिष्णुता के खिलाफ आम भारतीय को और अब सरकार को भी उठानी चाहिए अन्यथा जब बर्दाश्त से बाहर हो जायेगा फिर असहिष्णुता बढ़ रही है कहने का मौका भी आम भारतीय ऐसे लोगों को नहीं देगा  फिर सनी देओल का ओ डायलोग गूंजेगा .... जज आर्डर -आर्डर कहता रह जायेगा और तू पिटता रहेगा .
मेरा मन मुस्लिम भाइयों के ह्रदय को चोट पहुचाने की नहीं है  पर आमिर जैसे लोग मजबूर कर देते हैं . आम मुसलमान भी सच्चाई जानता है कि भारत से सुन्दर और सुरक्षित देश मुसलमानों के लिए दुनियां में कोई और हो नहीं सकता .पर  कुछ लोगों को आम मुसलमान की शांति और खुसहाली बर्दाश्त नहीं हो रही है क्योंकि उनकी लाशों पर सन 1947 से ही अपनी रोटी जो सेंकते आये हैं . 
poetpawan50@gmail.com

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