यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 13 जनवरी 2025

प्यार क्या इस तरह निभाओगे



प्यार क्या इस तरह निभाओगे

ख़ास  मौकों पे दिल दुखाओगे

याद  आते  हो , नहीं  आते  हो

बिन बुलाये  क्या नहीं आओगे

 

यूँ   अकेले   में   तो   जताते  हो

सामने   सब  के  भी  जताओगे

कहके हाँ फिर से मुकर जाते हो

इस  तरह से भी क्या सताओगे

 

साथ   में    मेरे    गुनगुनाओगे

बाँह   में   बाँह   डाले   गाओगे

उम्र है  प्यार  की  किये  जाओ

ये समय  फिर कहा  से पाओगे

 

फेरे   कब   साथ  में  लगाओगे

सुनती  हो!  ऐसे कब बुलाओगे

प्यार   है,  जान  गयी आगे क्या

प्यार   को   ज़िन्दगी  बनाओगे

 

पवन तिवारी

१३/०१/२५          

 


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