यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 10 जून 2024

यह वर्षा की रात है



यह     वर्षा      की     रात  है

रिमझिम - रिमझिम  बात है

टिपटिप  टिपटिप  लाखों बूंदें

वर्षा        की        बरात    है

 

चर्चा   कई    दिनों   से थी

वर्षा    नहीं   दिनों  से  थी

उमस से सबकी जान फँसी थी

इसकी   आस  दिनों  से  थी

 

अब जो  बिजली  चमक रही है

उसमें    वर्षा    दमक   रही  है

प्यासी   मिटटी   सोंधी  सोंधी

स्वाद को चखकर गमक रही है

 

मौसम  बड़ा   सुहाना  हो गया

मन   भी आना   माना हो गया

जग भर को है राहत मिल गयी

हरियाली   का  आना  हो गया

 

गर्म  हवा  अनुकूल  हो  गयी

बदली   जैसे   फूल  हो  गयी

सब  आनंदित  होकर   देखे

गायब   उड़ती  धूल हो गयी

 

पहली  वर्षा  जब  भी आती

जीव  जंतु  सबको  है भाती

सब ही हंसकर स्वागत करते

ज्यों  सबके  स्वर वर्षा गाती

 

पवन तिवारी

१०/०६/२०२४     

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें