यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 2 जून 2024

भईया हो चुनाव आया



भईया हो  चुनाव आया

सुना है नेता गाँव आया

वोट माँगने  आया होगा

वरना  कैसे  गाँव आया

 

पाँच साल में  ही दिखता है

जगह-जगह दारू बिकता है

बच्चे  तक  बर्बाद   हो  रहे

समाचार भी यह लिखता है

 

कुछ क़ानून बने नेता पर

हो   जवाबदेही  बेटा  पर

ये  ही  तो  क़ानून  बनाते

कौन धरे   इनके टेटा पर

 

गाँव की हालत  बड़ी बुरी है

लोकतंत्र   की  भले  धुरी  है

सड़क न शिक्षा अस्पताल है

गाँव की फाइल तुड़ी-मुड़ी है

 

कहाँ   गया   कानून  है

मँहगा  हो  गया  नूँन है

नोट में वोट है ऐसा उलझा

सस्ता  हो  गया  खून है

 

जब जब ये चुनाव है आता

हत्यारी   सौगात  है  लाता

अपनों के ही अपने दुश्मन

और  अंत   में   पछताता है

 

कोई  तो  ले  इसकी थाह

निकले  इसकी  कोई राह

वरना नहीं  चुनाव चाहिए

नहीं  दुश्मनी  की  है चाह

 

पवन तिवारी

०२/०६/२०२४       

 

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