यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

तोड़ कर अवरोध सारे




तोड़  कर  अवरोध सारे

तुम मुझे अधिकार दे दो

कर सकूँ  संवाद उर का

थोड़ा सा तुम प्यार दे दो

 

मुस्कुराएँ अधर  कह दो

छोड़कर  सारी  व्यथाएं

त्रास सारा  हर ही लूँगा

पग तो  मेरी और आएं

 

प्रेम  का  उपहास करना

जग का पहला आचरण है

निम्न क्या समझेंगे इसको

उच्च  इसका व्याकरण है

 

लोक में यह ही परम है

इससे आगे कुछ नहीं है

इससे आगे परम ईश्वर

इससे  आगे  कुछ नहीं

  

पवन तिवारी

०६/०२/२०२४

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