यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 27 मार्च 2023

कितने दिन गुज़रे हैं

कितने दिन गुज़रे हैं

कितने दिन गुज़रेंगे

कितने दिन तरसे थे

कितने दिन तरसेंगे

 

कुछ दिन दिल बरसे थे

आगे कब बरसेंगे

कब याद नहीं बरसे

सावन कब बरसेंगे

 

नैना भीगे - भीगे

ये हिय कब भीगेंगे

जाने कितने आये

पर वो कब आयेंगे

 

इस हिय को लगा धड़का

दोनों कब धड़केंगे

बिजली तो है तड़के

ये दिल कब तड़केंगे

 

पवन तिवारी

सम्वाद – ७७१८०८०९७८  

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