यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 20 जनवरी 2023

ज़िंदगी है बहुत कीमती कृति




ज़िंदगी है  बहुत  कीमती  कृति

माँगती है  बहुत  ही मगर धृति

इसके पथ तो बहुत ही कठिन हैं

इससे ज्यादा दिखे इसकी प्रतिकृति

 

छल  हमेशा  ही  देता थकावट

काम  आती  नहीं  है  बनावट

पीड़ा की  भाषा  सबसे  प्रभावी

कैसी हो होती  निष्फल सजावट

 

कुछ  को  देती है  वर्षा तरावट

किन्तु है  निर्धनों  से  अदावत

भेंट  जिनके  चढ़े  बाढ़ में घर

वो  करें  भी  तो कैसे बग़ावत

 

 उनसे  पूछो  अनाहार  हैं  जो

बासी कुचले हुए  हार  हैं  जो

उनको उपवास का भान क्या हो

जिनका  व्रत है फलाहार हैं जो

 

पवन तिवारी

१९/०१/२०२३  

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