यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022

लोग शहद से शब्द बोल के ज़हर पिलाते हैं

लोग शहद से शब्द बोल के ज़हर पिलाते हैं

मरने पर रोने का नाटक करके गाते हैं

ऐसे ही बहुतेरे जग में भले बने फिरते

शातिर लोग भी हँसकर अक्सर हाथ मिलाते हैं

 

सच के पथ पर कठिनाई क्या घाव भी पाते हैं

ऐसे में कुछ दया  दिखाने  धूर्त  भी  आते हैं

चेहरे से दिखते सज्जन हैं अन्दर से तो पूरे छलिया

लूटने से  पहले  चिकनी  चुपड़ी  बतियाते  हैं

 

हर पीला सोना नहीं होता हर चमकीला हीरा ना

बड़े लोग बच्चों को  कहकर यूँ समझाते हैं

चमक  दमक से लोगों के नजदीकी नाते हैं

किन्तु उन्हीं के अन्दर काली- काली राते हैं

 

लच्छेदार व झूठे ही लोगों को लुभाते हैं

जाने क्या जादू करते लोगों को भाते हैं

जो इनके जादू आकर्षण से से बाख जाते हैं

वे जीवन में हो विलम्ब पर समृद्धि पाते हैं

 

पवन तिवारी

०७/०९/२०२२     

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