यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 20 जुलाई 2022

उसके रोम से छल छलके हैं

उसके रोम से  छल छलके हैं

आँखों  में   धोखे  झलके  हैं

अधरों पर मुस्कान कुटिल है

और  इधर  भीगी  पलकें  है

 

सुंदर - सुंदर  स्वप्न दिखाया

उसने  उसके  बाद  रुलाया

प्यार के माँ पे सच पूछो तो

बड़ा तमाचा दिल पर खाया

 

तब से ही दिल  काँप रहा है

प्यार बला क्या भाँप रहा है

प्यार पे  बातें  बड़ी-बड़ी पर

दुःख  सुख  सारे  नाप रहा है

 

जान   गया   कि   घाटा   है

प्यार   में   गीला   आता  है

तब से प्यार न करना कहता

प्यार   नहीं    ये    चाटा    है

 

घूम – घूम  कर ये   कहता है

जग  भर  के  ताने  सहता है

कुछ तो अब पागल भी कहते

फिर  भी  ये  कहता रहता है

 

पवन तिवारी

२९/०३/२०२२

 

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