यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 24 जुलाई 2022

ये न पूछो

ये न पूछो वो हमारा कैसे होता

ये पूछो  वो  बेचारा कैसे होता

 

ग़लत से उम्मीद ग़लत किया

वगरना   हारा   कैसे   होता

 

शहर आवारगी को कह रहा था

वसूलों  को  गवारा   कैसे होता

 

तुम्हीं ने आसमाँ की लत लगायी

तुम्हारे बिन  सितारा कैसे होता

 

मेरे नसीब में धोखा लिखा था

मोहब्बत का सहारा कैसे होता

 

पवन तिवारी

१५/०४/२०२२२    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें