यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 1 जून 2022

थोड़ा थोड़ा नीला है

थोड़ा थोड़ा नीला है  सागर  तूफानी

थोड़ी थोड़ी दूधिया है अपनी जवानी

चाँदनी सी तुझमें भी दिखती है आशा

आजा मिल  लिखते  हैं  दोनों  कहानी

 

उमर पे है रंग चढ़  गया  थोड़ा धानी

मेरी नज़र को तू दिखती जैसे है रानी

तुझे   कैसा    दिखता   बताना   जरा

हिय  कह रहा तुझको कह  दूँ मैं जानी

 

तुझमें   दिखे   रंग   मुझे    आसमानी

तेरे  अंदाज़  का  ना  है  कोई   सानी

तुझे देख धड़कन की गति बढ़ती जाती

 मिल  बनाते  हैं  संगम  का  पानी

 

हमें  एक  दूजे  की  कसमें  ना  खानी

सहज रहने देना  है  प्रेम  की  रवानी

प्रेम  अपनी  निजता  का   उत्कर्ष  है

हमें   ये   कहानी      गानी  सुनानी

 

पवन तिवारी

२३/०७/२०२१       

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