यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 7 जून 2022

तुम्हें चाहा हमने

तुम्हें चाहा हमने तुम्हें प्यार किया

तुमने  हमें  ऐसे  कैसे  मार  दिया

अपनी  ज़िंदगी  दे दी हमने तुम्हें

तुमने हमें ये सिला कैसे यार दिया

 

किस बात  का  कैसा बदला लिया

सावन  के  मौसम  में पगला दिया

दिल के मामले में किया घपला तुमने

लोग कैसे आज-कल के बतला दिया

 

मासूमियत   का   ठिकाना   नहीं

दिल खोल  करके  दिखाना  नहीं

बहुत मोल भारी मोहब्बत का है

हरगिज  अकेले    चुकाना   नहीं

 

देखो सजग  रहना  प्यार  में भी

देखो  नज़र  रखना  यार  पे भी

कोई दगा का है निश्चित न दिन

पीने  पड़े  आँसू    खार  के  भी

 

पवन तिवारी

०७/०८/२०२१

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