यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 27 मई 2022

यमुना माँ

जिस  माटी  में  पले  बढ़े  थे  शीश  नवाते  श्याम थे

उस माटी के  यमुना  माँ  से  ही  होते  सब  काम  थे

गंगा  पापों  को  हरती  हैं  पतित  पावनी  कहलाती

मृत्यु  के  भय  से किन्त्तु बचाते माँ यमुना के  नाम थे

 

माँ यमुना का जल बल पाकर कृष्ण ने शौर्य दिखाया था

ब्रह्म  पुराण  जगत  जननी कह तुम्हरे गुण को गाया था  

भाई  दूज  की गौरव  माता  यम  की  परम  दुलारी हो

धन्य  है  भारत  जो  तुम  जैसी  शील गुणी माँ पाया था

 

वेद  व्यास  तुम्हरी   गोदी  में  जन्में  और  महान  हुए

शाम्ब  तुम्हारे  पावन  जल  से जग में पुनः समान हुए

तुम  अर्धांगिनी  योगेश्वर  की माँ सीता ने तुमको पूजा

बड़ा  दुखी  हूँ  ऐसी  माँ  के  भी   सही सम्मान हुए

 

पवन तिवारी

०५/०७/२०२१

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