यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 25 मई 2022

तुम्हें जो देखता मौसम

तुम्हें जो देखता मौसम,  देखकर  मुस्कुराता है

ये बादल भी है दीवाना तुम्हें देखे  तो गाता है

पवन तो मनचला है देख तुमको गुनगुनाता है

दुपट्टे  को  तुम्हारे  ये  अचानक  से  उड़ाता है

 

तुम्हारे अधर को ही देख भौंरा पास आता है

पुष्प से कर दगाबाजी तुम्हारी ओर जाता है

तुम्हारी आम बातों पे भी सबका ध्यान जाता है

परेशां  आदमी  भी देख तुमको सुकूँ पाता है

 

इसे सौन्दर्य सुन्दरता कहूँ या ना कहूँ फिर भी

तुम्हारे सब हैं दीवाने कहूँ या ना कहूँ फिर भी

कभी जो मिल सको तो चित्र खींचूँगा तुम्हारा मैं

इसी के साथ रह लूँगा समझ तुमको तुम्हारा मैं

 

पवन तिवारी

१४/०६/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें