यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 2 मई 2022

जब भी उसे भुलाता हूँ वो

जब भी उसे  भुलाता  हूँ वो  याद  दिलाने आता है

गज़ब का रिश्ता रखता है वो प्यास बढ़ाने आता है

 

वैसे तो वो जान का  प्यासा  अदा जान पे भारी है

घर वालों को देख के  मेरे  हाथ  मिलाने  आता है

 

लेने  आता  पोल  पता  पर  समझें   दिलदारी  है

बाबा जी  की तबियत कैसी  इसी बहाने  आता है

 

परधानी  के  निर्वाचन की  जब  से हुई मुनादी है

कम्बल साड़ी बाँट  के  कहता  पुण्य  कहाने आया

 

चैन  से  सोने  को  कहता  है उल्टा करने वाला है

नेता की  भाषा  ना  समझे  नींद  उड़ाने  वाला है

 

परसों गाली आज तुम्हें वो थाणे पर  पिटवाया है

नाटक  की  तैयारी  है  कल  नेह  जताने वाला है   

 

पवन तिवारी

१५/०३/२०२१

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