बात
 कोई  नहीं  जरुरी  थी
दिल
किया था तो अनायास किया
होके
तन्हा वो बहुत घबराया 
इसलिए
खुद को तेरे पास किया 
उसको
 आदत नहीं 
अकेले  की
जाने
कितनों का उसने साथ किया 
प्यार
 में  ऐसे  नहीं
 चलता  है 
वो
तो कईयों  के संग रात किया
अब है
झुँझलाता है अकेला जो  
नहीं  है 
प्यार तो पगलाता  है 
एक
मदिरा है आज-कल साथी 
आज-कल
उससे ही बतियाता है 
नहीं  है  क्रीड़ा  प्रेम  है जीवन  
सच्चे
हिय का वो सच्चा दर्पण है 
प्रेम
को जिसने लिया हलके में 
उनके
जीवन का हुआ तर्पण है 
पवन
तिवारी 
   
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