यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 18 जनवरी 2022

प्रकृति और ईश्वर


 

आम आदमी को ज्यादा सुख गड़ता है

अनचाहे  रस्तों  पर  चलना पड़ता है

समय ही जग में सबसे बड़ा देवता है

समय को माना वही सफलता जड़ता है

 

समय का जिसने जीवन में सम्मान किया

जिसने वंचित  व्  निर्धन  को दान किया

उसको सदा प्रकृति  पोषित करती रहती

जिसने प्रति क्षण कर्मवीर का मान किया 

 

जिसने प्रकृति नियम को जीवन में साधा

प्रकृति  बनी  ना  उसके  जीवन में बाधा 

बिन  राधा  के  कृष्ण  अधूरे  ज्यों लगते

वैसे  प्रकृति  बिना  लागे  ये  जग  आधा

 

संयम नियम आचरण का नित ध्यान रहे

हम मानव हैं प्रतिक्षण इसका  ज्ञान  रहे

सर्वश्रेष्ठ  के  अहंकार  से  बचना  है  तो

सर्वश्रेष्ठ   केवल   ईश्वर  हैं   भान  रहे

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

०९/०१/२०२०

 

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