यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

जलते हैं कुछ, कुछ जलता है

जलते हैं कुछ, कुछ जलता है

अच्छे से दीपक जलता है

दीपावली यही कहती है

अच्छा तब जब तम जलता है

 

जलने  वाले  रहेंगे  जलते

बढ़ने  वाले  रहेंगे   बढ़ते

जलने से प्रकाश होता है

बुद्धिमान उसमें पग भरते

 

जलने को तो जग  जलता है

जुगनू भी टिम-टिम जलता है

सबसे  दुखदायी  जलना तो

किसी निर्दोष का हिय जलता है

 

दीपावली     बचाए    इससे  

कैसे कहूँ  और किस  किससे

हिय को यदि कर सको प्रकाशित

तो कह दूँ कहो जिससे-जिससे

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१४/११/२०२०  

 

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