यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 23 अक्टूबर 2021

जय जय जय उत्तर प्रदेश हे !

जीवन संस्कृति के नरेश हे, जय जय जय उत्तर प्रदेश हे.

धर्म ध्वजा की कीर्ति शेष हे, जय जय जय उत्तर प्रदेश हे.

 

पावन  सरयू  यमुना  गंगा, काशी मथुरा  कौशल संगा.

युग  का  नगर  बनारस  चंगा, तुलसी सूर कबीर रंगा.

प्रेमचंद   प्रासाद   निराला,  भारतेंदु   महादेवी  आला.

कथक कहरवा कजली वाला, लोक जहाँ जीवन की माला.

 

नैमिष सारनाथ  संगम हैं, चित्रकूट  विन्ध्याचल  हम हैं.

शेखर  मंगल पांडे हम हैं, लक्ष्मीबाई   बिस्मिल  हम हैं.

भोजपुरी  अवधी  बुन्देली, कन्नौजी  हिंदी  की   सहेली.

सब  प्रदेश  भर  खेलें होली, नटखट  उसमें बड़ी बघेली.

 

हम बढ़ते भारत  के हैं कल, पंथ पथिक बहु किन्तु एक हल.

सत्य सनातन का यह  स्थल, बढ़ता  भारत  का इससे बल.

हम विभूतियों  के  प्रदेश के, हम  किसान अगुआ  प्रदेश के.

हैं  महात्म्य  अनगिन प्रदेश के, गर्व है हम  उत्तर प्रदेश के.

 

पवन तिवारी

सम्वाद – ७७१८०८०९७८

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