यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 22 सितंबर 2021

उसका होना

कभी उसका होना

जग का होना होता था

उसका होना अर्थात

खुशियों का होना !

उसका होना मतलब-

सब कुछ होना !

किन्तु एक दिन

वह न हुई तो, मैं ;

पागल सा हो गया !

भटका महीनों,रोया,घबराया

फिर एक दिन पता चला-

वह किसी और की हो गयी !

मैं उसे ठगे हुए

ह्रदय से भी

खुश होने की

दुआयें देकर लौट आया !

किसी और ने

मेरे लौटने के बाद

उसे त्याग दिया ! और फिर,

वह लौट आयी !

मैं, कुछ न कह सका;

अब वह है यहीं,

इसी घर में,

किन्तु अब उसका होना

न होने के जैसा है !

जैसे कोई नहीं है !

बस ! मैं हूँ;

पहले से भी बिलकुल अकेला !

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१९/०९/२०२०  

 

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