यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

जितनी अधिक पीर पाओगे

जितनी  अधिक पीर पाओगे

जितने अधिक छले जाओगे

इन सबसे यदि सीख सके तो

सही  दिशा  में  ही आओगे

 

लम्बा  बहुत  हुआ संघर्ष है

दुःख  में  बीता कई  वर्ष है

डिगे नहीं हो फिर भी पथ से

तो समझो फिर निकट हर्ष है

 

बाधायें  जीवन  की  परीक्षा

सीख सको  तो  है ये शिक्षा

इनका  जो  उपयोग सही हो

पूरी   होगी   सारी   इच्छा

 

जग भर से मिल सकती भिक्षा

उद्यम के लिए  धैर्य  प्रतीक्षा

जो  सौभाग्य  गुरु  मिल पाये

फिर मिल पाये जीवन दीक्षा

 

दीक्षित होकर जग जाओगे

जीत सभी का मन पाओगे

खुद आयेगी समृद्धि चलकर

आभा से जग  में  छाओगे  

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

३/०९/२०२०

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