यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 28 जुलाई 2021

ज़िन्दगी अपने ढंग से

ज़िन्दगी अपने ढंग से जिया कीजिये

थोड़ा - थोड़ा सही  पर नया कीजिये

ज़िन्दगी में हो अपने मुताबिक़ न सब

पर लगातार  हिय  से किया  कीजिये

 

प्रेम से जो मिला उसको ले लीजिये

जो है ज्यादा उसे थोड़ा दे दीजिये

ज़िन्दगी  आपसी प्रेम का नाम है

आपसी  प्रेम  में  आइये भीजिये

 

इसमें अच्छे बुरे लोग मिल जायेंगे

इसमें दुःख और सुख दोनों मिल जायेंगे

मिलना संतोष का थोड़ा मुश्किल है जी

खोज पाए उसे फिर तो खिल जायेंगे

 

दोस्ती थोड़ी सी हँसी से रखना तुम

दुःख ज्यादा नहीं थोड़ा सा चखना तुम

दोस्ती, धैर्य साहस से मत भूलना

झूठ को थोड़ी दूर से ही लखना तुम

 

ज़िन्दगी –ज़िन्दगी तब ही हो पाएगी

जब भी जायेगी खुशियों के संग जायेगी

वैसी मिल जायेगी चाहोगे जब भी जो

जिन्दगी आप के स्वर में ही गायेगी   

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१३/०८/२०२०

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