यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 5 मई 2020

वे कदम- दर -कदम दूर जाते रहे


वे कदम- दर -कदम  दूर  जाते रहे
हम कदम दर कदम पर मनाते रहे
क्रम ये वर्षों चला और फिर ये हुआ
बेवफाई  के  ख़ुद  गीत   गाते रहे

आयी जब भी  खुशी याद  आते रहे
प्रेम सपनों में  भी हम  जताते  रहे
दुःख ने ताने मुझे उनके जब-जब दिये
आँखें भर आयी  पर  मुस्कराते  रहे

हम थे उनके सदा अब भी उनके रहे
बात उनकी है वो चाहे  जिनके  रहे
एक ही था ह्रदय उनको अर्पण किया
उनकी दृष्टि  में  ये चाहे तिनके रहे

मेरे गालों पे  उनके थे  चुम्बन  प्रथम
प्रेम को उनके माध्यम से समझे थे हम
प्रेम की शक्ति का पहला  आभास  था
प्रेम क्षण भर में दुःख कैसे कर देता कम

प्रेम का स्वाद हमने तो चख ही लिया
ये अलग  बात है  उसने  धोखा दिया
शुक्रिया शुक्रिया दिल से  निकले अभी
प्रेम के  सारे  पक्षों को   मैंने  जिया


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८     


  

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