यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 24 मई 2020

सर्वश्रेष्ठ प्रेम


लोगों से सुना है
आप ने भी सुना होगा
बस एक चीज है जो
बांटने से बढ़ती है ‘विद्या’
परन्तु यह ही सही नहीं है
प्रेम भी बाँटने से बढ़ता है
कई बार ऐसा होता है कि
प्रेम छूट जाता है
कभी छोड़ जाता है, कभी तो
सदा के लिए आधे रास्ते से
हो जाता है विदा !
प्रेम में इसके सिवा छल या
धोखा भी मिलता है
यह सारे आप को
देते हैं अनंत दुःख !
उस दुःख है जन्मता है संहार
क्योंकि, प्रेम में होती है अनंत शक्ति
उस शक्ति को थोड़ा – थोड़ा
बाँटते चलो तो वह संहार के बदले
करती जायेगी निर्माण
तुम जिसे चाहते थे
देना अनंत प्रेम
उस अनंत प्रेम को
अनंत लोगों में साझा कर दो
वे लोग लौटायेंगे इतना प्रेम
जितना तुम्हारा प्रेम सौ जन्मों तक
नहीं लौटा सकता
तुम्हारे प्रेम का दुःख अब
करुणा,स्नेह और आत्मीयता के रूप में
यत्र तत्र सर्वत्र फैलकर
न केवल तुम्हें सुगन्धित करेगा
बल्कि सुगन्धित करेगा पूरी मनुष्यता को
इसलिए प्रेम कभी अधूरा नहीं होता
बल्कि होता है सदा से पूरा
जो तुम किसी एक को
देना चाहते हो पूरा का पूरा
किन्तु यदि कभी लोगों में
बाँटने का अवसर आये तो
पीछे मत हटना क्योंकि
बाँटना ही प्रेम का
सर्वश्रेष्ठ रूप होता है.
तो बाँटते चलना ..


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
  

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