यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 13 मई 2020

औरत



जो तुम्हारे कपड़े धो देती है
जो तुम्हें दे देती है बना कर चाय
जो तुम्हें पकाकर भोजन परोस देती है.
वो जो कर देती है इस्तिरी तुम्हारे कपड़े
वो औरत जैसी कोई और है
यह तो तुम स्वयं भी या
कर सकती है कोई नौकरानी

जो तुम्हारे दुखों को सोख ले
जो तुम्हें दे अनपेक्षित खुशियाँ
जो करे तुम्हें विपरीत परिस्थितियों में प्रेरित
जिसके होने से तुम तुम हो सको निर्भय
जिसके होने से मिले तुम्हें सुकून
जिसके होने से तुम देख सको
असम्भव को संभव करने के सपने
जिसकी गोद में तुम्हारी चिंताएं
हो जायें छूमंतर
जो तुममें खिलाये प्रेम के पुष्प
जिसका प्रेम दे खुशियों का शिखर
जो तुम्हें दे स्थिरता
जो तुम्हें दिखाए तुम्हारा लक्ष्य
जो तुममें जगाये दायित्व का बोध
जो तुम्हें बनाये फलदार वृक्ष
जो तुम्हें बनाए एक सम्पूर्ण मनुष्य
और जिसके साथ होने पर
कर सको स्वयं पर गर्व
वही औरत है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  

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