यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 18 अप्रैल 2020

भूख की निजता


वर्षों पहले मैंने लिखी थी एक कविता-
‘भूख ने मर कर बदला लिया’
उसने अपनी निजता की रक्षा के लिए
त्याग दिए थे प्राण !
किन्तु, इस बार एक भूख नहीं है,
हजारों, लाखों, शायद करोंड़ों है
भूख से बड़ी निजता शायद कुछ नहीं,
करनी होगी उसकी निजता की रक्षा !
यदि हुई उसकी निजता भंग
और खुल गया उसका भेद,
तो इससे बड़ा अनर्थ कुछ नहीं होगा.
क्योंकि भूख काल से भी
नहीं होती भयभीत !
जब वह बाहर आएगी,
हजारों,लाखों शायद करोड़ों की संख्या में
तो मौत भी माँगेगी जीवन की भीख
भूख से बढ़कर कोई महामारी नहीं
क्योंकि भूख स्वयं के सिवा
किसी को भी नहीं पहचानती.



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  

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