यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 31 मार्च 2020

चलो दुःख है तो


चलो दुःख है तो खुशियों वाली भी बरात आयेगी
कि प्रेमी हो  तुम्हारे  व्याह में हर जात आयेगी

कि तुमने प्यार की खातिर प्यार कुर्बान कर डाली
चलेगा प्यार का  किस्सा  तुम्हारी  बात आयेगी

उजाड़ा है बहुत खुद को  बहुत से घर बसाये हैं
तुम्हारे हिस्से में भी प्यार की सौगात  आयेगी

भरोसे का मोजज़ा प्यार में तुम  खुद ही देखोगे
मिलाने तुमसे  लेकर खुद  ही कायनात आयेगी

कि  होती ख़ूबसूरत  रात भी है  दूल्हे से पूछो
प्रतीक्षा में है रहता दिन ढले कब  रात आयेगी


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  

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