यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 28 मार्च 2020

आप आते हो, दिल लगाते हो


आप आते  हो, दिल   लगाते   हो
थोड़ा-थोड़ा सा  उसको  जलाते  हो
प्यार का काम किसको जलाना नहीं
सच बताओ न सच दिल लगाते हो

पास आ  धड़कने  क्यों  बढ़ाते हो
प्यार करते हो या  बस  जताते हो
सब बदन चाहते प्यार के नाम पर
सच बताओ न सच दिल लगाते हो

सपनों में आके भी तुम  जगाते हो
प्यार से  माथे को  चूम  जाते हो
मेरा सपना  हक़ीकत  बनेगा कभी
सच बताओ न सच दिल लगाते हो

तुमपे मरती हूँ  सबको  बताते हो
पर मेरे पास  तुम  रोज  आते हो
तुम भी मरते हो सबको बताओगे कब
सच बताओ ना सच दिल लगाते हो

प्यार का  बेर  चुपके  से  खाते  हो
ब्याह  जल्दी  नहीं  क्यों  रचाते  हो
दिल का दरवाज़ा मैं बंद कर दूँगी कल
सच बताओ ना सच दिल  लगाते  हो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

   
   

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