यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

वाग्देवी माँ सरस्वती


वाग्देवी  माँ   सरस्वती
शब्द  सर्जक   भगवती
उपमा रूपक बिम्ब शिल्प
छन्द  सुर  लय ना मती
सीधे - सीधे  याचना  माँ
कर  दो  हमरी  सद्गती

हूँ अबोध  दो बोध  माता
हर लो सारा कलेस माता
जो भी हैं उदगार हिय के
कह सकूँ मैं सुबोध माता
मूढ़ और  मतिमंद  हूँ मैं
हर लो सारा क्रोध  माता

दीप  सा  मैं  जल  सकूँ
संवाद  सबसे  कर  सकूँ
क्रोध  का  अनुवाद माता
प्रेम  से   मैं  कर  सकूँ
घाव  शब्दों से  लगे  जो
शब्दों  से  ही  भर  सकूँ

सत्य के लिए जर सकूँ
लोक हित में झर सकूँ
और मुरझाये अधर पर
हर्ष  थोड़ा   धर  सकूँ
राष्ट्र के मैं मान ख़ातिर
हर्ष  से  मैं  मर  सकूँ

आप की आया  शरण माँ
शुद्ध कर  दो आचरण  माँ
अहं द्वेष से बच  सकूँ मैं
सब कलुष का हो क्षरण माँ
संरक्षण  का  हूँ  अभिलाषी
प्रेम  का  दो  आवरण  माँ

हो विवेक का आगमन माँ
प्रज्ञा का बरसे सुमन  माँ
जो रचूँ हो  लोकहित  में
शेष का कर दो शमन माँ
राग  मुझ में  व्याप जाये
सब दिशा में हो अमन माँ

वन्दना  पूजा    अर्चन
ना ही जानू  मन्त्र  सर्जन   
श्लोक छन्द व नाही कीर्तन
मात्र   है    श्रद्धा   सुमन
सहज  सीधे  कर  रहा माँ
आप  को  शत  शत नमन


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८


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