यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

सुखकर्ता हैं..... सवैया


सुखकर्ता हैं, दुःखहर्ता हैं , ऐसे  गणेश  की गौरी  हैं माता
शुभ लाभ पुत्र हैं समृद्धि भरते, मंगल  के  सर्वस्व हैं दाता
रिद्धिहि सिद्धि हैं पत्नियाँ इनकी,सारी सिद्धियों के ये विधाता
कोटि नमन लम्बोदर जी को जिनका गुण जन जन है गाता

भूत पिशाच करें आराधन,  सर्व प्रथम  यही नाम  है आता
पूज्य प्रथम हैं लोक सकल में, जग इनकी धुन पर है गाता
वाहन मूषक ज्ञान प्रतीक है, प्रिय इनका है वो मोदक खाता
हर युग के अवलम्ब हैं गणपति, जो भी भजे हर सुख है पाता





पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८


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