यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

जिसे तुम ख़ास कहते हो


जिसे तुम ख़ास कहते हो तुम्हारा भ्रम रहा होगा
जरूरत  ना रही  होगी किनारा  कर लिया होगा

जिसे नेकी हो तुम समझे वो मजबूरी भी हो सकती
जो खाना खा रहे हो कल की शादी  का बचा होगा

ये  दुश्मन  हैं  बचो इससे  जरुरी  है  नहीं  वो हो
कि हो सकता है वो दुश्मन कि जिसने ये कहा होगा

आज का प्यार बस यूँ ही इसे दिल पर नहीं लेना
जमाने  में  जरुरी ना  जिसे  चाहो  पिया  होगा

बस उसके नाम  पर अक्सर अधूरे काम छोड़े हैं
वो तुमसे रूठ गया खुश रहो अच्छा किया होगा

खालिस सच है प्यास समंदर बुझा नहीं सकता
खुशी  मिलेगी  गर   अब  भी  दरिया  होगा



पवन तिवारी
संवाद ७७१८०८०९७८

  

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