यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 3 सितंबर 2019

कितनों को कहते


कितनों को कहते जो  आबाद किया है
मगर खुद को खुद ही  हलाक किया है

तोहमत  लगाने से  बदलता न सच है
कितनो ने खुद को ही नाशाद किया है

प्यार  में  वही बंजारा  अक्सर हुए हैं
जिन्होने ना जाहिर  ज़ज्बात किया है

जिनको निठल्ला सदा समझा है जग ने
कभी – कभी  उन ने करामात किया है

दुश्मन ने क्या किया बहुत कम किया है
अधिक  अपनी  जिद  ने बर्बाद किया है

उलझा भी है तो फक्त उलझने की खातिर
नतीजे   में  बेबात   बात   किया है

बुरा  होके  भी  बच गया  वो  पवन कि
सब  कुछ  तो अपनों के  साथ  किया है



पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत      

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