यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 12 अगस्त 2019

अबकी मिलो तो


अबकी मिलो तो ऐसे कि मुझे तर कर दो
मुझमें  इस कदर घुलो कि शरबत कर दो

तुम्हारे प्यार के  मैंने बहुत से किस्से सुने
अब जो मेरी कहती हो तो दस्तखत कर दो

ठीक है कोई नहीं तुम मुझे पढ़ना चाहती हो
ऐसा  करो  कि तुम मुझे पहले ख़त कर दो

मुझे बदनाम ही करना है ना बस इतना भर
तो सुनो ऐसा करो  कि प्यार में हद कर दो

दूरियों से प्यार बढ़ता है ठीक है मान लिया
तो ऐसा  करो  इस बार मिलना रद्द कर दो

हक़ अदा किया अच्छा किया अब जिम्मेदारी 
क्या खूब हो गयी तो थोड़ी मजम्मत कर दो

बातें बड़ - बड़ शोर-गुल इधर - उधर बहुत हुआ 
अच्छा तो बुलाऊं खामोशियों को इनायत कर दो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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