यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

तुम जितनी दीवानी हो


तुम  जितनी  दीवानी  हो
तुम उतनी ही  शिवानी हो
प्रिये हो शक्ति स्वरूपा तुम
तुम  ही  देवी  भवानी हो


प्रेम तुम्ही हो शक्ति तुम्ही हो
अन्तस् की अनुरक्ति तुम्ही हो
तुम  हो  राधा  तुम  ही दुर्गा
तप करुणा व भक्ति तुम्ही हो


तुम भगिनी हो तुम जननी हो
भार्या  लक्ष्मी  गृह  भरनी हो
प्रेम  भी  हो पूजा भी तुम हो
कष्ट विशाद की तुम हननी हो


इसीलिये  तो  तुम  पावन हो
प्रति अंतस की चिर सावन हो
हर  अभिलाषा  की तुम पूरक
अक्षय  प्रेम  की  उपवन  हो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें