यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 13 मार्च 2019

ह्रदय गीत का वो प्रेमी है


ह्रदय गीत का वो प्रेमी है जिसको सुनकर है खो जाता
मेरे गीतों को सुन करके बिन मौसम मधुमास भी आता
यूँ  ही  गीत  नहीं मेरे हैं ये हिय के मधुकोष से उपजे
मेरे गीत जो सुन लेते तो बिना कहे कुछ प्रेम हो जाता

मेरे  गीत  बांसुरी  के  सुर  और  भौंरों के गुंजन हैं
प्यास  अधर  के मेरे गीत हैं और आँखों के अंजन हैं
हिय  के  अंतरतम  भावों  को  स्पन्दित करने वाले
मेरे  गीत  परम  पावन  हैं  प्रेम के सच्चे नन्दन हैं

पुण्य  फले हैं कई जन्म के तब जाकर मेरे गीत हुए
बहुत  दुलारा, सेवा  की है तब  जाकर मेरे मीत हुए
शब्दों  की  माया  रचने  से  गीत  नहीं पैदा होते
पावन मन के भाव जो बहके शब्द लिपट कर गीत हुए

लिख  देना  भर  गीत नहीं हैं भावों की ये साधना है
करुणा  प्रेम  पक्ष  है इसका हिय की ये आराधना है
हिय  के  सोये  तारों  को भी जो स्पन्दित कर जाए
वो  ही पावन गीत जगत का उर की वही उपासना है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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