यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 3 जनवरी 2019

इश्क, मोहब्बत और इबादत


ये दिल  का  खेत  है साहब  यहाँ काटे नहीं उगते
कि इनका क्या यह  प्रेमी हैं यहां ए रात भर जगते
है देना  ध्यान  तो दो  नागफनियों  के बगीचों पर
जो उनमें पाँव  भी रख दे तो हो घायल नहीं बचते

मोहब्बत  का  मोहल्ला  है संभलकर जाइए साहब
कहीं  मजनू  कि, रांझा  हीर, ना हो जाइए साहब
सभी कुछ छूट जाएगा लगा  कर  इश्क का चस्का
अभी भी  वक्त है, जरा सोचिए, फिर जाइए साहब


मैं अच्छा खासा था बेहतर मेरा सम्मान भी था खूब
गया जो प्यार की गली में हुआ बदनाम भी मैं खूब
तजुर्बा ये हुआ जब  प्यार की महफिल में पहुँचा मैं
दर्द  में  झूमते  सब  ही मगर कहते बहुत ही खूब   

बहुत से खेल में  इक खेल प्यारा  है  मोहब्बत का
बड़ा ही  खेल  पावन  ये  कि  दर्ज़ा है इबादत का
मगर  ये  कौन  जाने  देह, किसने  रूह  देखी है
यही इक खेल ऐसा जो  खुदी  से  है  बगावत का



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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